Sunday 25 May 2014

लीची -गर्मियों का शाही फल

 लीची -गर्मियों का शाही फल
लीची एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार फल है जिसका मूल निवास चीन है । लीची की खेती सर्वप्रथम दक्षिण चीन में पहली शताब्दी के आसपास शुरू हुई थी । भारत, बांग्ला देश और पाकिस्तान में भी इसकी बागवानी होती है । लीची हमेशा तरोताजा रहने वाले ऊंचे पेड़ों पर लगती है । घनी हरी पत्तियों के बीच गहरे लाल रंग के बड़े-बड़े गुच्छों में लटके लीची के फल देखते की बनते हैं । ये पेड़ उष्ण अथवा शीतोष्ण कटिबन्धों में बहुतायत से पाए जाते हैं , जहाँ लीची को पकने के लिए पर्याप्त गरमी मिलती है ।
लीची हिमालय की पर्वत श्रंखला में पैदा होने वाला रसीला फल है जो अपने  विशिष्ट स्वाद और सुगंध के कारण लोकप्रिय है जो मई और जून तक मिलती है । लीची स्वादिष्ट ही नहीं है उसमें अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते है पौष्टिकता की दृष्टि से भी वह अव्वल  है ।
यह छोटे आकार का और पतले लेकिन छोटे, मोटे  और नरम कांटो से भरे छिलके वाला फल है । इसका छिलका पहले लाल रंग का होता है और अच्छी तरह पक जाने पर थोड़े  गहरे रंग का हो जाता है अन्दर खूब मुलायम पारदर्शी से सफेद रंग का मोती की तरह चमकदार गूदा होता है जो स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है । इस गूदे के अन्दर गहरे भूरे रंग का एक बड़ा बीज होता है जो खाने के काम नही आता है ।
 फलों की रानी लीची गर्मियों की जान है । लीची का नाम आते ही मुंह में मिठास और रस घुल जाता है यह देखने में जितनी सुन्दर है खाने में  उतनी ही स्वादिष्ट है । आज लीची एक फल ही नहीं रही है उसे शेक, सलाद, जूस में इस्तेमाल किया जा रहा है । लीची पौष्टिक तत्वों का भण्डार है इसमें विटामिन सी, पोटेशियम, शर्कर की भरमार होती हे । लीची में वे सभी मिनरल्स होते हैं जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्निीशियम जो कि हमारे शरीर की हडिडयों और शरीर के विकास के लिए आवश्यक होते हैं ।
लीची के औषयीय गुण: लीची कोलेस्ट्राल संतृप्त वास रहित लो कैलोरी फल है जिसमें रेशे बहुतायत में होता है । लीची गर्मियों से बचा सकते हैं यह फल गर्मियों के मौसम में आपके शरीर को पानी की बहुत जरूरत होती है गर्मियों में लीची खाने से आपके शरीर को विटामिन सी और पानी भरपूर मात्रा में मिलता है । लीची में एंटी आॅक्सीडेंट होता है जो आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है । लीची से शराब, उसके गूदे (पल्प) व छिलके से वेट लाॅस, ब्लड प्रेशर नियंत्रण हार्ट डिजीज  की सम्लीमेंट्री दवा और स्किन क्रीम चेहरे की झुर्री घटाकर चमक भी बढ़ाती है । लीची के शर्बत, फ्रुट सलाद और आइसक्रीम के खाने का रिवाज है । चीनी संस्कृति में लीची का महत्वपूर्ण स्थान है । यह घनिष्ठ पारवारिक संबधों का प्रतीक समझी जाती है । लीची से रक्त व शरीरिक क्षमता बढ़ती है यह बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करती है । साथ ही पाचन क्षमता बढ़ाती है । लीची में  मौजूद फलेवनाइडस् जैसे तत्व इसे एंटी ब्रेस्ट कैंसर गुण देती है । इसलिए लीची का सेवन महिलाओं के लिए विशेष  हितकारी है । लीची त्वचा के दाग-धब्बों को हटाकर उसे सुन्दर व नम बनाती है रक्त को शुद्ध करती है । अलीगोनोल एक कम आणविक तत्व जो एंटी आॅक्सीडेंट और विरोधी इन्फूंएजा वायरा, यह अंगों में रक्त प्रवाह में सुधार, वजन कम करने में , हानिकारक यू वी किरणों से त्वचा की रक्षा करती है । लीची में पोटेशियम, तांबा और खनिजों बहुतायत में होने से दिल की दर और रक्तचाप को नियंत्रित करता है, यह स्ट्रोक और कोरोनरी हृदय रोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है । तांबा लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक है । लीची को पूरा पकने के बाद ही तोड़ा जा सकता है क्योंकि पेड़ से तोड़ लेने के बाद लीची के फल का पकना बंद हो जाता है । यह छोटे आकार का और पतले और नरम कांटों के छिलके वाला फल है । इसका छिलका पहले लाल रंग का होता है और अच्छी तरह पक जाने पर थोड़े गहरे रंग का हो जाता है । अन्दर खूब मुलायम पारदर्शी से सफेद रंग का चमकदार पल्प होता है जो स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है । इस पल्प के अंदर कत्थई रंग का एक बड़ा बीज होता है ।
जाड़े के दिनों में अधिक पाला तथा गर्मी के दिनों में गर्म हवाओं से लू को लीची से हानि होती है । पाले से नई और कभी कभी पुरानी पत्तियां तथा टहनियां मर जाती हैं । फलों के पकने के समय लू चलने से इसके फलों में फटन आ जाती है जिससे फल खराब होकर गिरने लगते हैं । अगेती किस्मों में फल सूर्य की कड़ी धूप से झुलस जाते हैं और फट भी जाते हैं । जिसे सनस्काल्ड कहते हैं । लीची के भण्डारण के लिए लीची के फलों को डंठल तोड़कर भली भांति साफ कर ले पोलीथिन कि छिद्र युक्त थैलियों में बंद 40 से 43 डिग्री तथा 90 आद्रता पर शीतगृह में 28 से 30 दिन तक अच्छी दशा में भण्डारण किया जा सकता है ।
लीची का शर्बत , फ्रूट सलाद और आइसक्रीम के साथ खाने का रिवाज लगभग सारी दुिनया में है लेकिन चीन में इसे अनेक मांसाहारी व्यंजनों  के साथ सम्मिलित किया जाता है । चीनी संस्कृति  में लीची का महत्वपूर्ण स्थान है । नये साल की फल और मेवों की थाली में इसका होना महत्वपूर्ण माना जाता है यह घनिष्ठ पारिवारिक संबंधों की प्रतीक समक्षी जाती है ।
लीची के हर भाग का उपयोग हो रहा है । खराब लीची से शराब, तो पल्प (गूदा) व छिलके से वेट लाॅस, ब्लडप्रेशर नियंत्रण व हाॅर्ट डिजीज की सप्लीमेंट्री दवा और स्किन क्रीम का निर्माण किया जा रहा है । लीची के पल्प व छिलके से हाईड्रोक्सीकट, लीची-60 सीटी और एक्सेंड्रीन दवा बनाई जा रही है । इसका प्रयोग वेट लाॅस, ब्लडप्रेशर नियंत्रण व हाॅर्ट डिजीज की सप्लीमेंट्री दवा के रूप में हो रहा है । इससे निर्मित स्किन क्रीम चेहने की झुर्री घटाकर चमक भी बढ़ाती है ।
वैज्ञानिकों ने बढ़ाई लीची की उम्र - सामान्यतया 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखी गई लीची 15 दिनों तक चल सकती है । लेकिन वैज्ञानिक तकनीक के जरिए इसे समान तापमान पर 45 से 60 दिन या अधिक समय तक रखा जा सकता है । इस तकनीक में सिक्वेंशल डीप प्राॅसेस के तहत वाई सल्फाइड, स्काॅर्पिक ऐसिड आदि केमिकल्स के जरिए लीची की लंबी अवधि तक रखा जाता है । इस प्रक्रिया में लीची की गुणवत्ता, स्वाद या रंग-रूप पर कोई असर नहीं पड़ता है और यह लंबे समय तक ताजी एवं स्वादिष्ट रहती है । इसके अलावा निर्यात की जाने वाली लीची को रेडिएशन तकनीक से पूरी तरह संक्रमण फ्री बनाया जाता है ताकि यह 60 दिन बाद भी वैसी लगे, जैसे अभी पेड़ से तोड़ी गई है ।

लीची का पोषकमान (100 ग्राम): ऊर्जा 66 किलों कैलारी, कार्बोहाइडेट 12.7 प्रतिशत, प्रोटीन 1.5 प्रतिशत, वसा 2 प्रतिशत, फाइबर 3.5 प्रतिशत, फोलेटस 3.5 प्रतिशत, नायसिन 3.5 प्रतिशत, कोलीन 1 प्रतिशत, पायरोडोक्सीन 9 प्रतिशत, राबोफलेविन 5 प्रतिशत, थायमिन 1 प्रतिशत,  विटामिन सी 11.9 प्रतिशत, विटामिन ई 0.5 प्रतिशत, पोटेशियम 3.5 प्रतिशत, कैल्शियम 0.5 प्रतिशत, तांबा 1.6  प्रतिशत, लोहा 4 प्रतिशत, मैग्निशियम 2.5 प्रतिशत, मैंगनीज 2.5 प्रतिशत, फास्फोरस 4.5 प्रतिशत, सेलेनियम 1प्रतिशत, जस्ता 0.5 प्रतिशत ।






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