Monday 9 June 2014

अफीम का पौधा - औषधीय गुणों वाला (वाणिज्यिक उत्पाद)

अफीम का पौधा - औषधीय गुणों वाला (वाणिज्यिक उत्पाद)

अफीम का पौधा औषधीय श्रेणी में आता है जिसका वैज्ञानिक नाम पपवर सोम्निफेरूम है । अफीम के पौधे फारस, मिश्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यताओं में खेती की जाती थी । पुरातात्विक साक्ष्य और जीवाश्म खसखस से पता चलता है कि 30000 से अधिक साल पहले से ही अफीम का इस्तेमाल होता रहा है । अफीम का पौधा लंबे समय से यूरोप में लोकप्रिय हुआ । अफीम के पौधे के दूध को सुखाकर बनाया गया पदार्थ है जिसके सेवन से मादकता आती है । इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नींद आती है । अफीम में 12 प्रतिशत तक मार्फीन पायी जाती है जिसको प्राॅसेस करके हिरोइन नामक मादक ड्रग तैयार किया जाता है । अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व फल में एक चीरा लगाया जाता है, इसका दूध निकलने लगता है जो निकलकर सूख जाता है । यह लसीला होता है । इसके बीजों से प्राप्त तेल का उपयोग खाना पकाने के लिए एक प्रमुख स्त्रोत के रूप में किया जाता है । भारत में अफीम के बीजों का एक महत्वपूर्ण पाक सामग्री के रूप में है । मिठाई, पेस्ट्री और ब्रेड बनाने में बड़े पैमाने में इसका उपयोग किया जाता है । इसका उपयोग दवाओं में किया जाता है । अफीम का रासायनिक घटक में मूल्यवान एल्काइड्स जैसे मार्फीन, कोडीन, नर्कोटीन, पपवरीन और थेवेन का स्त्रोत है । दूसरे सूक्ष्म एल्काइड्स एपोरीन, कोडामाइन, क्रिप्टोपाइन और पपवरमाइन है । बीज में लीनोलिक अम्ल एक उच्च स्तर में पाया जाता है ।  अफीम एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है । वाणिज्यिक उत्पाद, अफीम जो एक नशे के लिए उपयोग किया जाता है । अफीम के बीजों के केप्सूल से प्राप्त होता है । अफीम एक बहुत ही मूल्यवान किन्तु खतरनाक दवा है । इसका उपयोग बहुत ही सीमित मात्रा में और एक चिकित्सक के सख्त पर्यवेक्षण के अधीन किया जाना चाहिए ।  अफीम के बीज चर्बीदार तेल और प्रोटीन के समृद्ध स्त्रोत होते हैं । अफीम के उत्पाद - अफीम इत्र, अफीम बाॅडी पाउडर, अफीम बाॅडी क्रीम, और अफीम बाडी तेल । अफीम का पौधा पौना मीटर से सवा मीटर ऊंचा रहता है । इसके फल होते तो सफेद हैं किन्तु उनमें नीली झलक रहती है । एक पौधे पर 6 से 8 फल लगते हैं । फल मंे बहुत से दाने होते हैं । फल कहलाता है पोस्त डोडा तथा बीज कहलाता है पोस्त दाना । पोस्त डोडा पर प्रातः के समय चीरा लगाते हैं । चीरे से दूध-सा निकलता है । यही स्त्राव अफीम है । अफीम के बीज से खसखस तैयार होता है । अफीम एक विषैला पदार्थ है । इसको शुद्ध करके ही दवा के लिए प्रयोग करते हैं । सिर दर्द ऐसा जो जीने न दे । उसके उपचार हेतु खसखस को दूध में घोटकर रोगी को पिलाते हैं । सिर दर्द गायब हो जाता है । सुख की अनुभूति होती है । अफीम के गुणों - पीड़ा शामक, मादक, कफ हटाने वाली, शूल दूर करने वाली आदि । कमजोर लोग खसखस की खीर खाने से शक्तिवान हो जाते हैं । खसखस का शर्बत भी लाभदायक है । अफीम से कई नशीले पदार्थ बनाये जाते हैं जैसे कोडीन और हेरोइन । अफीम एक तरल, ठोस, या पाउडर हो सकता है । अफीम अफीक के पौधों से प्राप्त की जाती है । 5000 ईसा पूर्व और के बाद से दुनिया भर के देशों में इसकी खेती की जाती है । विश्व की 90 प्रतिशत हेरोइन अफगानिस्तान से दुनिया के बाजारों में पहुंचती है । अफीम की खेती के लिए सबसे उपर्युक्त जलवायु ठंड का मौसम होता है । इतिहास में चीन का अफीम युद्ध प्रसिद्ध है । अंग्रेज चीन में मुत अफीम उसी तरह बांटते थे जैसे भारत में चाय ।  उन्नासवीं सदी के मध्य में चीन और मुख्यतः ब्रिटेन के बीच लड़े गये दो युद्धों को अफीम युद्ध कहते हैं । प्रथम युद्ध 1839 से 1842 तक चला और दूसरा 1856 से 1860 तक । इन युद्धांे का कारण अफीम की तस्करी से है ।
अफीम का प्रभाव - अफीम की रासायनिक प्रभाव की अवधि 4 घंटे का होता है । दर्द और चिंता से राहत, सतर्कता की कमी, बिगड़ता समन्वय और कब्ज की गम्भीर समस्या हो सकती है । अफीम के लगातार उपयोग से व.जन घटना, मानसिक गिरावट और बाद में मौत भी हो सकती है । अफीम की ओवरडोज व्यामोह , कोमा और मौत का परिणाम हो सकती है । अफीम के प्रभाव में सबसे पहले उत्साह, भावनात्वक अलगाव की भावना, दर्द और तनाव का अभाव, बदला हुआ मूड और मानसिक प्रक्रियाएं, तंद्रा, उल्टी, भूख की कमी, कम सेक्स ड्राइव, त्वचा में खुजली, पेशाब में वृद्धि, पसीना, ध्यान केन्द्रित करने की असमर्थता, बिगड़ी हुई दृष्टि और अन्त में मौत ।














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